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पेट दर्द को कब गंभीरता से लेना चाहिए?

Disease symptom of abdominal pain

Disease symptom of abdominal pain :-

 

जब आपको तेज पेट दर्द हो तब तो आदमी भागकर डॉक्टर के पास जाता ही है लेकिन असली मुश्किल तो हल्के-हल्के पेट दर्द के साथ ही जुड़ी है

चिकित्सा विज्ञान में पेट को ‘जादू का बक्सा’ कहा जाता है. ऊपर से कुछ भी न दिखे या समझ ना आए और अंदर से ना मालूम क्या निकल जाए! अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई, एंडोस्कोपी आदि जैसे आधुनिक समझे जाने वाले टेस्ट भी पेट के संदर्व में कुछ हद तक ही मदद कर पाते हैं. आज भी यह सच बात है कि बीमारी को पकड़ने के लिए तीन ही बातें मदद करती हैं. डॉक्टर को अपने मरीज को अपनी पूरा ‘हिस्ट्री’ बताने का समय दे, डॉक्टर जाने कि मरीज द्वारा बताए गए लक्षण और बिमारियों का सिलसिलेवार जानकारी ही बीमारी की तरफ इंगित करेगा तथा डॉक्टर सावधानीपूर्वक न केवल मरीज के पेट को अपने हाथ लगाकर जांच करे बल्कि अपनी जांच के अंत में गुदाद्वार की भी जांच, औरतों का गायनी चेकअप और पुरुषो की टेस्टीज (अंडकोष) की भी जांच अवश्य करें. लेकिन आज के दौर में परेशानी यह है कि डॉक्टर प्राय: इतना समय अपने मरीज़ को नहीं देते. हवा कुछ ऐसी चली है कि डॉक्टर अपने मरीज़ से कहते है की , पहले अल्ट्रासाउंड वगैरह कराके आओ फिर हम बताते हैं.

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फिर मरीजों की तरफ से यह लापरवाही आम है कि पेट की तकलीफ पर वह शुरुआत में बिलकुल ध्यान नहीं देता. स्वयं ही मान लेता है कि पिछले रात खाने के कारन ऐसा हो गया था या परसों रात देर से खाना खाया था इसलिए यह सब हो रहा होगा. अगर फिर भी ठीक न हो तो कुछ दिनों तक घर पर ही उपचार होता रहता है. इसके बाद भी अगर आराम न मिले तो ही वह डॉक्टर के पास जाने के बारे में सोचता है. फिर वह दस-बारह दिन सोचता रहता है कि दिखाएं किसे? फिर डॉक्टरी जांचें. फिर रिपोर्ट के लिए भटकना. फिर धीरे धीरे रिपोर्टों का बड़ा फाइल बन जाना और फिर कहीं नहीं पहुंच पाना.

पेट की बहुत सी तकलीफें हैं. एक अच्छा डॉक्टर मरीज से उसके पिछले बिमारियों के बारे में बात करके और उसके पेट की जांच करके ही निदान खोज सकता है. इसमें डॉक्टर के साथ साथ मरीज की समझदारी का भी उतना ही अहम् भूमिका है. मैं पेट दर्द के बारे में आपकी समझदारी को बढ़ाने की कोशिश करूंगा। लेकिन डर भी इस बात का है कि कहीं आपकी निजी समझदारी आपकी स्वस्थ की समझ बढ़ाने में आड़े न आए!

बहरहाल! जमाने में शोर दिल के दर्द का है, लेकिन पेट का दर्द भी कोई आम दर्द नहीं. जिनको होता है वही जानता है. तेज पेट दर्द जब अचानक ही हो जाए तब तो इंसान भागकर डॉक्टर के पास जाता ही है. लेकिन असल दिक्कत तो हल्के-हल्के पेट दर्द में होती है या ऐसे तेज पेट दर्द में जो कुछ समय के बाद कम हो गया हो. दोनों ही स्थितियों में इंसान यह सोचता है कि दर्द कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाएगा. वह पेट दर्द का अपने आप ही ठीक हो जाने का इंतज़ार करता है. लेकिन वह इस बात की जरा भी चिंता नहीं करता कि यह पेट दर्द हुआ क्यों? स्वयं ही अंदाज़ा लगा कर संतुष्ट हो जाता है की खाने में ही कुछ गड़बड़ हुआ होगा, पत्नी को कई बार कहा है लेकिन खाने में वह इतने मसाले डालती है कि क्या करू! यह गैस की समस्या है होगी, हमारे शहर की पानी की सप्लाई भी ठीक नहीं है, वगैरह-वगैरह.

कुल मिलाकर बात ये है की पेट दर्द के लिए दिल बहलाने को फिर जो भी ख्याल आपको आ जाए, वही अच्छा लगने लगता है. आपको याद रहे कि पेट के अंदर इतना सारा मशीन ईश्वर ने भर रखा है कि दर्द कहां से उठ रहा है यह पता करना डॉक्टर के लिए भी बहुत कठिन है. फिर पेट ही क्यों? पेट में दर्द है तो छाती, मेरुदंड (Spnine), अंडकोष, नसों, पेट, पीठ या आसपास की किसी मांसपेशियों में हो रही बीमारी से भी हो सकता है. नीचे की तरफ (डायफ्राम में) होने वाली प्लूरिसी, निमोनिया, पेट की मांसपेशियों में खून का थक्का (Clout) या इन्फेक्शन, मेरुदंड की टीबी या उसमें हो रहा कैंसर, ये बीमारियां पेट दर्द कर सकती हैं. हल्का-हल्का पेट दर्द में भी डॉक्टर से सलाह लेना ही उचित होगा.

पेट दर्द होने पर और भी ध्यान देना चाहिए जब पेट दर्द के साथ आपको नीचे दिए गए लक्षण भी दिख रहे हों :

– पेट दर्द होने के साथ साथ वजन भी गिर रहा है

– पेट दर्द होने के साथ साथ भूख कम या खत्म ही हो गई है

– पेट दर्द होने के साथ साथ बुखार भी रहता है

– पेट का दर्द होने के साथ साथ दर्द पीठ की तरफ या आगे जांघों की तरफ जाता है

– पेट दर्द होने के साथ साथ खाना एकदम कम हो जाता है या बढ़ जाता है

– पेट दर्द होने के साथ साथ माहवारी चढ़ गई है

– पेट दर्द होने के साथ साथ कमजोरी लगती है

– पेट दर्द होने के साथ साथ टट्टी काली आती है

– पेट दर्द होने के साथ साथ टट्टी में ताजा (लाल) खून दिखा था, या फिर थोड़ा सा भी दिखा था तो ये भी बेहद महत्वपूर्ण है

– पेट दर्द होने के साथ साथ बहुत दिनों से कब्जियत रहने लगी है या कभी दस्त

– पेट दर्द होने के साथ साथ हाथ पांव से ठंडा पसीना आते रहना

– पेट दर्द होने के साथ साथ लेकिन उल्टी हो जाए तो ठीक हो जाता है

ऐसे ही पेट दर्द भी अनेक तरह के हो सकते हैं जो एक डॉक्टर ही समझ सकता है. तो पेट दर्द हो रहा हो और ऊपर दिए गए लक्षण की तरह का है तो बिलकुल नजरअंदाज न करें. आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, पर याद रखें कि आप डॉक्टर को अपनी पूरी हिस्ट्री स्पष्ट तौर पर विस्तार से बताये. डॉक्टर न पूछे, तब भी उसे उपरोक्त बातें अवश्य बताएं. जैसेकि दर्द थोड़ा-थोड़ा ही था लेकिन यह कब से था? आपका पेट दर्द खाना खाने से घटता है कि बढ़ता है, सांस लेने-खांसने-झुकने से दर्द बढ़ता तो नहीं है, भूख कैसी है, आपका वजन तो नहीं गिर रहा – आदि बातें आप स्वयं ही बता दें. डॉक्टर जितना आपसे आपके पेट दर्द के बारे में पूछेगा, उतना ही अच्छे तरह से बीमारी को समझ पाएगा. आप ऐसा डॉक्टर को दिखाए जो आपकी सुने. तो अंत में एक ही संदेश कि हल्के पेट दर्द को भी आप गंभीरता से लें.

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