साल 2019 में चाइना के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस का कहर धीरे धीरे पूरे विश्व में फैल गया। यूरोप, एशिया, अमेरिका आदि विश्व भर के देशों में कई लोगों ने इसके चलते अपनी जान गंवा दी। 2020 तक आते आते वायरस ने इतना भयानक रूप ले लिया कि विश्व को लॉकडाउन तक से गुजरना पड़ा। जिसका सबसे ज्यादा असर पड़ा निजी क्षेत्र में। काम-काज ठप होने के चलते लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा। अर्थव्यवस्थाओं ने मंदी के दौर का सामना किया तो लोगों की आर्थिक हालात और भी खराब होती चली गई। वायरस का प्रकोप से ज्यादा भूखमरी के कारण लोगों को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। कई बड़़े-बड़़े देश तेजी से इस वायरस के प्रकोप को कम करने के लिए वैक्सीन बनाने की कोशिश में लग गए। कई उतार चढ़ाव के बाद, कई खामियों के बाद तीन प्रक्र्रियाओं से गुजरने के बाद कई देशों की वैक्सीन्स बनकर तैयार हो चुकी है। इस महामारी को समाप्त करने के लिए दुनिया के एक बड़े हिस्से को इस वायरस से प्रतिरक्षित होना चाहिए। जिसे केवल वैक्सीन की मदद से किया जा सकता है। बीते सालों में भी ऐसे ही सक्र्रांमक रोगों से लोगों को बचाने के लिए वैक्सीन की मदद बहुत प्रभावी रही है। कोरोना का प्रकोप इतना व्यापक हो चुका था कि विश्व में इस बीमारी के फैलने के कुछ महीनों बाद से ही वैक्सीन को बनाने की प्रक्र्रिया शुरू हो गई जिसके चलते कई अनुसंधान दल इस चुनौती के लिए उठे और सार्स-कोवि-2 से बचाव करने वाले टीके विकसित किए जो इस वायरस का कारण बनते है। वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया जितनी ज्यादा कठिन और जटिल रही है उससे कई ज्यादा कठिन होगा इसे विश्व के सभी देशों को पहुंचाना और प्रत्येक व्यक्ति के टीकाकरण को सुनिश्चित बनाना। और सबसे ज्यादा जरूरी होगा कि सभी देशों, न केवल अमीर देश बल्कि गरीब देशों में भी यह मदद पहुंचाई जाए।
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कई देशों ने चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन लगाने की घोषणा की है। जिसमें कि बुजुर्ग, और स्वास्थ्य बीमा श्रमिकों, स्वास्थ्य कर्मचारियों आदि को पहली श्रेणी में रखकर टीका लगाया जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार 14 जनवरी 2001 तक विश्व भर में वैक्सीन की 32.64 मिलियन खुराक दिलाई गई थी। वहीं फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका ने 2021 में 5.3 बिलियन खुराक के निर्माण की घोषणा की है। जिससे 3 बिलियन लोगों का टीकाकरण किया जाएगा। वही पिछले साल के अंत तक 10 बिलियन से अधिक वैक्सीन की खुराक विश्व स्तर पर पहले ही खरीदी जा चुकी हैं। जिसमें अधिक आय वाले देशों द्वारा खरीदी गई खुराक दुनिया की कुल आबादी का केवल 14 प्रतिशत ही है। ऐसे में टीकाकरण की प्रक्र्रिया एक चुनौती की तरह ही सामने आने वाली है जहां अभी भी 86 प्रतिशत वैश्विक आबादी को टीका पहुंचाने और लगाने का काम बाकी है। भारत में भी 16 जनवरी 2021 से टीकाकरण की प्रक्र्रिया शुरू की जा रही है। सीरम इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया और भारत बॉयोटिक द्वारा बनाई गई वैक्सीन की 1.65 करोड़ खुराके सभी राज्यों को भेज दी गई है। भारत में भी विश्व के अन्य देशों की तरह टीकाकरण की यह प्रक्र्रिया चरणबद्ध तरीके से आरम्भ की जाएगी। जिसमें स्वास्थ्य कर्मचारी, फ्र्रंटलाइन श्रमिको को कोरोना का पहला टीका लगाया जाएगा। जिसका खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। वहीं स्वास्थ्य कार्यकताओं के आकड़ो के आधार पर संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टीके आवंटित किए गए हैं। सीरम इंस्टीटयूट द्वारा तैयार की गई वैक्सीन कोविडशील्ड और भारत बॉयोटिक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई थी।
16 जनवरी को देश को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी टीकाकरण के इस अभियान की शुरूआत करेंगे। टीके को जिस चरणबद्ध तरीके से लगाया जाएगा उसमें सबसे पहली प्राथमिकता हेल्थ केयर वर्कर रहेंगे। जिसमें पहले दिन तीन लाख स्वास्थ्य कर्मचारियो को टीका लगाया जाएगा। दिल्ली में प्रतिदिन 8000 हेल्थ वर्कस को टीका लगाया जाएगा। टीकाकरण की प्रक्र्रिया में केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली औरते तथा गर्भावस्था में उन अनिश्चित लोगों को टीकाकरण शॉट से बचने के लिए कहा गया है। वहीं कहा गया है कि दोनों टीके एक ही निर्माता से लिए जाए साथ ही टीके की दो खुराक को लेने के बीच का समय 14 दिन का होना चाहिए। इस प्रक्र्रिया में उन लोगों को भी वैक्सीन नहीं दी जाएगी जिन्हें इन्जेक्शन थैरेपी, दवा उत्पाद, और खाद्य पदार्थो से एलर्जी की समस्या है। केंद्र सरकार ने टीकाकरण के बाद होने वाले प्रभावों को भी जारी किया है जिसमें वैक्सीन की प्रक्रिया से गुजरने के बाद आपको सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, अस्वस्थता, पाइरेक्सिया, ठंड लगना, गठिया और कमजोरी जैसे दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलवा पेट मे दर्द, शरीर में दर्द, चक्कर आना, कंपकपी, पसीना,, खांसी और इंजेक्शन लगने की जगह पर दर्द का होना जैसे हल्के लक्षण भी नजर आ सकते है।
आशा है कि और भी निर्माता कोविड-19 के लिए जल्द ही टीके विकसित करते हैं, तो यह महत्वपूर्ण होगा क्योंकि अंततः अब भी दुनिया की आबादी के एक बहुत बड़े हिस्से को कोविड-19 की वैक्सीन प्राप्त करने की आवश्यकता है।
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