भारत में यदि खेलों की बात की जाए और क्रिकेट का नाम ना लिया जाए तो कुछ अधूरा सा लगता है। क्रिकेट (Cricket) यहां खेल से ज्यादा लोगों की भावनाओं से अधिक जुड़ा मालूम होता है। क्रिकेट की शुरूआत और विकास ब्रिटेन से माना जाता है लेकिन उसे पहचान मिली भारत में। अपनी शुरूआत से लेकर अब तक क्रिकेट (History of Indian cricket in hindi) के इस स्वरूप में कइ्र्र बड़्रे़ बदलाव आ चुके हैं। आज भारत टेस्ट, वनडे, टी20 इंटरनेशनल के साथ साथ अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट का भी पूर्ण सदस्य बन चुका है। भारत के कई दिग्गज खिलाड़ियों ने क्रिकेट को कामयाबी की अलग ही ऊचाइंयों पर पहुंचाया है। मैन इन ब्लू के नाम से जानी जाने वाली भारतीय टीम का संचालन भारतीय क्रिकेट कंट्र्रोल बोर्ड के द्वारा किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत ने अपने खेल की शुरूआत की 25 जून 1932 को ब्रिटेन में लार्डस के क्रिकेट ग्राउंड से। टेस्ट क्रिकेट का दर्जा पाने वाली भारत छठी टीम बनी। भारत ने अपने टेस्ट क्रिकेट की शुरूआत की इंग्लेंड में 31 जुलाई 1974 में। टेस्ट क्रिकेट के अपने सफर की शुरूआत कर चुकी भारत ने जल्द ही विश्व कप में अपनी मजबूत दावेदारी भरी। साल 1883 में इसी के चलते कपिल देव की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहला विश्व कप अपने नाम किया। वहीं 2011 में कप्तान महेंन्द्र सिंह धोनी ने इस ताज को फिर से भारत के सिर पर जमाया।
भारतीय क्रिकेट (history of indian cricket in hindi) टीम का पहला विश्व कप जीतने के साथ भारत में क्रिकेट खेलों में पहली पंसद बन गया। इसके बाद एक के बाद एक कई दिग्गजों ने इस ख्ेल में दस्तक दी। जिसकी शुरूआत हुई 20वी शताब्दी के अंत में। 1989 और 1990 में क्रिकेट के भगवान कहें जाने वाले सचिन तेंदुलकर और तेज स्पीनर अनिल कुंबले ने टीम में जगह बनाई। यही वो दौर रहा जब सचिन तेन्दुलकर टेस्ट और वनडे दोनों ही प्रारूपों में दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बनकर सामने आए। इस समय विश्व की शीर्ष टीमों में आस्टेलिया अपनी खास पहचान रखती थी। इसके बाद सौरभ गांगुली, वीरेन्द्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह जैसे कई दिग्गज क्रिकेटरों ने इस क्षेत्र में पर्दापण किया। साल 2007 में भारतीय क्रिकेट टीम की डोर राहुल द्रविड़ को सौंपी गईं। और यही वो समय भी रहा जब महेंन्द्र सिंह धोनी को टी20 और एकदिवसीय टीम का कप्तान बनाया गया। साल 2007 में धोनी की कप्तानी में भारत ने पहला टी20 विश्व कप अपने नाम किया। अब भारतीय टीम अपनी पुरानी छवि को तोड़ते हुए नया इतिहास रचने की ओर आगे बढ़ रही थी । साल 2009 में भारत ने न्यूजीलैंड में 41 वर्षो के इंतजार के बाद अपनी पहली टेस्ट श्रृंख्ला जीत हासिल की। दिसंबर 2009 में श्रीलंका को हराकर भारत दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम बनकर उभरी। और साल 2011 में श्रीलंका को हराकर विश्व कप भी अपने नाम किया।
कपिल देव, सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़, और महेंन्द्र सिंह धोनी भारत के सबसे सफलतम कप्तान माने जाते है। धोनी के भारतीय टीम का हिस्सा बनते ही भारतीय टीम ने कई कामयाबियां हासिल की। धोनी तीनों आईसीसी ट्राफियां जीतने वाले इतिहास के पहले कप्तान बनें। वर्तमान भारतीय कप्तान विराट कोहली की अगुवाई में भी भारतीय टीम कई उपलब्धियां अपने नाम कर चुंकी है। वहीं इसके अतिरिक्त महिला क्रिकेट की बात की जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा की महिला क्रिकेट पुरूषों के मुकाबले अभी अपनी खास पहचान विकसित करने में कोसों पीछे नजर आता हे। लेकिन जिस तरह से क्रिकेट की पीच पर महिलाएं अपने हुनर की बारीकियां दिखाती नजर आ रही है उससे जल्द ही यह फर्क मिटता नजर आएगा। महिला क्रिकेट टीम ने अपना पहला टेस्ट मैच 1976 में खेला था। 1978 में महिला क्रिकेट विश्व कप का आयोजन भारत में किया गया। साल 2017 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व कप के फाइनल में पहुंचने में तो कामयाब रही लेकिन अंत में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। झूलन गोस्वामी दुनिया में सबसे ज्यादा एकदिवसीय विकेट लेने वाली महिला गेंदबाज बन चुकी है। वहीं मिताली ज्यादा सर्वाधिक रन बनाने वाली भारतीय खिलाड़ी।
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भारतीय क्रिकेटर केवल अपने खेल को लेकर ही नहीं अपने द्वारा बनाए गए रिर्काडस को लेकर भी चर्चा में रहें। सचिन तेन्दुलकर द्वारा बनाए गए रिकार्डस को छूना किसी भी खिलाड़ी के लिए सोचने का विषय है। टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट दोनों के इतिहास में सचिन सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे हे। टेस्ट और वनडे में उनके नाम सबसे अधिक रन और सबसे अधिक शतक दर्ज है। वहीं विश्व में रिकॉर्ड के मामलें में 1999 में अनिल कुंबले जिम लेकर के बाद टेस्ट मैच की पारियो में सभी दस विकेट लेने वाले वही महेन्द्र सिंह धोनी द्वारा साल 2005 में श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की पारी किसी भी विकेटकीपर द्वारा बनाया गया सबसे ज्यादा रन का रिकॉर्ड है।
भारत में क्रिकेट का इतिहास (History of indian cricket in hindi)
जितना निराशाजनक लगता है वहीं इसका विकास और वर्तमान स्वरूप उतना ही ज्यादा गर्व महसूस कराता है। आज आईपीएल जैसे प्रीमियर लीग्स का आयोजन नए युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा को नया मंच प्रदान करता है जिसे विश्व स्तर पर भी काफी सराहना मिल चुकी है। ऐसे ही प्रतिभाओं के साथ भारतीय क्रिकेट का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल नजर आता हे।
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