विश्व के कई ताकतवर देश अपने लोगों की सुरक्षा के लिए खुफिया एंजेसिस का इस्तेमाल करते है। जैसा कि हम जानते है वैश्विक स्तर पर आज हालात उतने सामान्य नहीं रह गए जितने पहले थे। आज देश की सुरक्षा अहम मुददा बन चुकी है। विश्व स्तर पर बढ़ते आंतक के चलते बड़ी बड़ी घटनांए अक्सर सामने आती रहीं है। आंतकवाद की जड़े कई देशों में आज इतनी मजबूत हो चुकी है कि इतना खतरा अन्य देशों में देखने को मिलता हे। कई आंतकवादी संगठन अशांति फैलाने की अपनी सोच के चलते हर कदम इसी कोशिश में लगे रहते नजर आते है। इसी का नतीजा है कि ऐसी ही जानकारियों को हासिल करने एंव अपने लेगों की सुरक्षा आदि कारणों के चलते कई खुफिया एंजेंसिस विश्व भर में काम कर रहीं है। ऐसा नहीं है कि ये जासूस एंजेसिंस पहली बार काम कर रही है पुराने जमाने में राजा-महाराजा अपने राज्यों की सुरक्षा के लिए अक्सर दुश्मन राज्य में जासूसों को भेजा करते थे ताकि अपनी प्रजा को सुरक्षित किया जा सके। बस फर्क इतना ही है कि आज ये विस्तार पा चुंकी है। और बदलते समय के साथ और भी ताकतवर बन चुकी हैं। ऐसी ही विश्व की सबसे ताकतवर खुफिया ऐजेंसिस में सबसे पहले आती है-
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World most dangerous intelligence agency in hindi :-
1.सीआईए (CIA) – दुनिया की सबसे ताकतवर और सक्षम जासूस एंजेसी सीआईए यानी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी या अमेरिकी जासूस एंजेसी की स्थापना साल 1947 में की गई। इसका मुख्यालय वांशिगटन के पास वर्जिनिया में स्थित है। साइबर क्र्राइम एंव देश के अंदर तथा बाहर होनेवाली आंतकवादी गतिविधियों पर इसकी पैनी नजर बनी रहती है। इसके अतिरिक्त अमेरिका में एनएसए, डीआईए, और एफबीआई तीन अन्य खुफिया एंजेसिस भी मौजूद है। साल 2001 में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका की ये एजेंसिस और भी ज्यादा सर्तकता के साथ अपने काम को अंजाम दे रही है। अमेरिका ने इससे पहले इतने बड़े स्तर पर किसी भी आंतकवादी हमले का सामना नहीं किया था। जिसमें आंतकवादियां द्वारा चार विमानों का अपहरण कर लिया गया।चार विमानों में से एक वर्ल्ड टेड सेंटर, दूसरा न्यूयार्क शहर के टविन टावर्स , तीसरा वाशिगटन डीसी के बाहर वर्जीनिया के पेंटागन से और चौथा विमान पैंसिलविनिया के एक खेत में जा गिरा। ये इतना बड़ा आंतकवादी हमला रहा कि इसमें 3000 लोग व 19 अपहरर्णकर्ता मारे गए।
2. मौसाद (MOSSAD) – इजराइली खुफिया एंजेसी विश्व में सबसे खतरनाक एजेंसिस में मानी जाती है। इसी का परिणाम है कि इजराइल कभी किसी देश को खुद पर हमला करने से मना नहीं करता उनका दावा है कि यदि एक भी इजराइली नागरिक मारा जाता है तो उसका परिणाम हमलावर देश के साथ उसी तरह से लिया जाएगा। मौसाद का अर्थ ही मौत है। ये एंजेसी इतनी खतरनाक है कि यह अपने दुश्मन या अपने देश के खिलाफ साजिश रचने वाले को दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ निकालने का दम रखती है। 1949 में गठित की गइ्र्र ये एंजेसी सीधा प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है। साल 1972 में ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक के समय पश्चिमी जर्मनी में फिलस्तानी आतंकवादी समूह ने नौ इजरायली ओलम्पिक टीम को बंधक बना मार डाला इसका परिणाम यह हुआ इस घटना में जिम्मेदार सभी आतंकवादियों को महीनो के भीतर ही इस खुफिया एंजेसी ने ढूंढकर मार गिराया।
3. रॉ (ROW) – भारतीय खुफिया एंजेंसी रॉ भी विश्व की सबसे ताकवर खुफिया एजेंसी मानी जाती है। साल 1968 में बनी इस एजेंसी का मुख्यालय दिल्ली में है। यह एजेंसी भारत के प्रधानमंत्री के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति के प्रति जवाबदेही नहीं रखती है। देश के अंदर वे बाहर कई बड़ी आंतकवादी घटनाओं को नाकाम करना, वे दुश्मन देश के अंदर घुसकर कई बड़े आपॅरेशन्स को अंजाम देना इस खुफिया एजेंसी की बड़ी कामयाबी रही है। यह विदेशी मामलों, अपराधियों, आंतकियां के बारे में पूरी जानकारी रखती है। इसके अतिरिक्त आईबी यानी इंटेलिजेंस ब्यूरो भी देश की सुरक्षा करने के मामले में उतनी ही सक्रिय भूमिका निभाती है। बीते सालों में भारतीय सेना द्वारा कई बड़े आतंकवादी संगठनों को जिस तरह मार गिराया गया उनमें सबसे बड़ी भूमिका इन्ही खुफिया एजेंसिस की रही है।
4.एमएसएस (MSS) – साल 1983 में चीन के द्वारा मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्यूरिटी नाम से अपनी खुफिया एजेंसी का गठन किया गया। हालांकि, अन्य देशों की तरह इस खुफिया एजेंसी का काम अपने देश की सुरक्षा करना तो है ही लेकिन ये सबसे ज्यादा प्राथमिकता इस बात पर देती है कि देश को राजनैतिक रूप से किसी भी प्रकार की कोइ्र्र हानि न हो। इसका मुख्यालय बीजींग में स्थित है। यह विश्व की बड़ी खुफिया एजेंसिस में शुमार है। और अपनी एक खास पहचान रखती है।
5. आईएसआई (ISI) – पाकिस्तान की यह खुफिया एजेंसी साल 1948 में गठित की गई जिसका मुख्यालय इस्लामाबाद के शहराह ए सोहरावर्दी में है। विश्व की अन्य एजेंसिस की तरह ही यह बहुत ताकतवर मानी जाती है । हालांकि, जिस तरह से पाकिस्तान में आंतकवाद का बीज पनपता नजर आ रहा है उसमें इस खुफिया एजेंसी का बहुत बड़ा हाथ माना जाता है। और इसपर कइ्र्र आंतकवादी हमलों को अंजाम देने का आरोप भी अक्सर लगता रहा है।
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