26 जनवरी 2021 को भारत अपना 71वा गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। विश्व में सबसे बड़े लिखित संविधान, सबसे बड़ें गणतंत्र को मनाने का उत्साह प्रत्येक भारतवासी के दिल में सदा भरा रहता है। 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए भारत को जॉर्ज 6 के साथ एक संवैधानिक राजशाही के रूप में स्वतंत्रता और गर्वनर जनरल के रूप में अर्ल माउंटबेटन मिले। स्वंतत्रता मिलना जितना ज्यादा संघर्ष भरा रहा उससे कई ज्यादा चुनौतियों आजादी मिलने के बाद की राह में खड़ी थी। 565 रियासतों में बटें भारत को अखंड भारत में परिवर्तित करना सबसे बड़ी चुनौती रही। जिसके साथ प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप देना और उसे चलाना वो भी बिना किसी स्थायी संविधान के, हम भारतीयों के लिए रास्तों को और मुश्किल करने वाला था। लेकिन संघर्ष से डरकर बैठना हमारी आदत में शुमार होता तो शायद स्वतंत्रता का स्वप्न देखना और उसे वास्तविक बनाना कोसों दूर की बात होती। अखंड भारत के स्वप्न को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व से साकार कर दिया। अखंड भारत की छवि उकेरने के बाद अब संविधान निर्माण की नींव स्थापित की गई। 29 अगस्त 1947 को, एक स्थायी संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए नियुक्त किए गए ड्राफिटंग कमेटी की नियुक्ति के लिए एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें डॉ बी आर अम्बेडकर को अध्यक्ष चुना गया। समिति द्वारा सात हिस्सों में बांटते हुए संविधान के अलग-अलग स्वरूपों पर विचार किया गया। अमेरिका, आयरलैंड, ब्रिटेन आदि विभिन्न देशो के संविधान से प्रभावित भारतीय संविधान को तैयार किया गया। समिति द्वारा एक मसौदा संविधान तैयार किया गया और 4 नंवबर 1947 को संविधान सभा को प्रस्तुत किया गया। संविधान की प्रस्तुति से पहले माननीय सदस्यों द्वारा विधानसभा की बैठक दो साल, 11 महीने और 18 दिन की अवधि में फैले 166 दिनों में जनता के लिए हुई। संविधान के अस्तित्व में आने से पहले हमारे झंडे, राष्ट्रगान जैसे मुख्य राष्ट्रीय प्रतीकों को अस्तित्व में लाया गया। 22 जलाई 1947को हमारे राष्ट्रीय ध्वज, 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया। कई विचार-विमर्श और कुछ संशोधनों के बाद, विधानसभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज की दो लिखित प्रतियों पर हस्ताक्षर किए। जिसके साथ 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के पूर्ण प्रभाव से लागू किया गया तथा डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने भारतीय संघ के अध्यक्ष के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया। व भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। संविधान सभा नए संविधान के संक्रमणकालीन प्रावधानों के तहत भारत की संसद बनी।
हर वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा राजपथ पर रायसीना हिल के गेटस से इंडिया गेट के समीप कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। समारोह की पूर्व संध्या पर राष्टपति द्वारा भारतीय जनता को संबोधित किया जाता है। राजपथ पर भारतीय संस्कृतिक और सामाजिक विकास,सेना के शौर्य, पराक्रम, भारत की रक्षा क्षमता आदि को परेड द्वारा दर्शाया जाता है। नौसेना के अलावा भारतीय सेना के नौ से बारह अलग-अलग रेजिमेंट और उनके बैंड के साथ वायु सेना अपने पराक्रम को देखना गौरवान्वित महसूस कराता है। भारत के राष्ट्रपति जो सशस्त्र सेना के कमांडर-एन-चीफ है सलामी लेते हैं। इसके साथ ही भारत और पुलिस बलों के विभिन्न अर्ध-सैन्य बलों के बारह दल, भारत के अलग-अलग राज्यों की झांकियों के साथ ही, चुनिन्दा विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा झाकिंया प्रस्तुत की जाती है।
गणतंत्र दिवस के समारोह का समापन तीन दिन बाद 29 जनवरी को शाम को आयोजित कार्यक्रम में किया जाता है। यह सेना के तीनों विंग, भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना के बैंड के द्वारा किया जाता है। यह रायसीना हिल से विजय चौक तक आयोजित होता है। जो राष्ट्रपति भवन के उत्तरी और दक्षिणी ब्लॉक से राजपथ के अंतिम छोर की ओर जाता है। भारत के राष्ट्रपति समारोह के मुख्य अतिथि होते है जो घुडसवार रक्षक द्वारा आते है। राष्ट्रपति के आगमन पर सलामी देना, राष्ट्रगान का गायन, बैंड द्वारा प्रदर्शन करना आदि कई कार्यक्रम शामिल होते है। रायसीना हिल का दृश्य बहुत ही शानदार होता है। जिसे देखकर गौरव का अनुभव होना स्वाभाविक है।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया जाता है। पदम पुरस्कारों का यह वितरण विभिन्न क्षेत्रों में अपने काम से गौरवान्वित करने वाले व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है। भारत रत्न के पश्चात यह भारत में दूसरा सबसे बडा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए पदम विभूषण, एक उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा के लिए पदम भूषण और प्रतिष्ठित सेवा के लिए पदम श्री तीन श्रेणियों में यह पुरस्कार वितरित किए जाते है। विश्व में सबसे बडे लोकतंत्र का सबसे बड़ा लिखित संविधान होने का गौरव प्राप्त करने वाले भारत में इस दिन समारोह का आयोजन केवल शाक्ति प्रदर्शन करने के लिए नहीं है ये भारतवासियों को सेना के उस अदम्य साहस और हमारी रक्षा के लिए सदा तत्पर उन वीरों से परिचित कराना और हमारी सुरक्षा के लिए आश्वस्त करना है।
Follow Us : Facebook Instagram Twitter
लेटेस्ट न्यूज़ और जानकारी के लिए हमे Facebook, Google News, YouTube, Twitter,Instagram और Telegram पर फॉलो करे