Biography

जाने, महेंद्र सिंह ने कैसे किया जीरो से हीरो तक का सफर

विश्व क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में ट्रॅाफी हासिल करने वाले धोनी अपने समय में क्र्रिकेट को नई ऊचाईयों पर पहुंचाया। 7 जुलाई 1981 को तब बिहार के रांची में जन्मे धोनी के पिता मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले थे। शुरूआती समय में धोनी का लगाव क्र्रिकेट से ज्यादा फुटॅबाल की तरफ अधिक रहा। डीएवी जवाहर विद्या मंदिर से अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण करने वाले धोनी फुटॅबाल और बैडमिंटन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते जिला और क्लब स्तर पर चुने गए। एक बेहतरीन गोलकीपर होने के चलते उन्हें स्कूल की तरफ से विकेटकीपर के रूप में स्थानीय क्रिकेट क्लब के लिए क्रिकेट खेलने के लिए भेजा गया। अपने इसी कौशल से प्रभावित करते हुए उन्हें साल 1995 से 1998 तक उन्हें कमांडो क्रिकेट क्लब का नियमित विकेटकीपर बनाया गया। धीरे धीरे धोनी की दिलचस्पी क्र्रिकेट की तरफ और अधिक होती गई इसी के चलते उन्हें मांकड टॉफी अंडर-16 चैम्पियनशीप के लिए चुना गया। साल 1998 में धोनी को सीसीएल की तरफ से खेलने का मौका मिला जिसके चलते उन्हें ऑर्डर पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला। एक साल के भीतर धोनी सीसीएल से बिहार रणजी टीम के लिए खेलने चले गए। अपने कौशल के दम पर शतक जड़ते हुए उन्होंने सीसीएल को ए डिवीजन में जाने में मदद की। हालांकि, शुरूआती समय में जिस प्रतिभा को माही ने प्रदर्शित किया उस स्तर की सफलता उन्हें नहीं मिली। जिसके चलते साल 2001 से 2003 तक खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर एक यात्रा टिकट परीक्षक की नौकरी करते हुए धोनी ने अपने खेल को जारी रखा।

साल 2003 से 04 के बीच उन्हें वन डे प्रारूप में उनके प्रयासों के लिए पहचाना गया व जिम्बावे और केन्या के दौरे के लिए इंडिया ए टीम के लिए चुना गया। अपने खेल को जारी रखते हुए अपनी पारियों के दम पर और एक श्रृंख्ला में उनके प्रदर्शन ने तत्कालीन भारतीय कप्तान- सौरभ गांगुली का और रवि शास्त्री सहित कई अन्य का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। अपने शानदार प्रदर्शन के चलते धोनी को साल 2004 में अपने पहले अन्तरराष्टीय एकदिवसीय दौरे के लिए भारतीय टीम में चयनित किया गया। लेकिन यहां धोनी अपने कौशल का पूरी तरह से प्रदर्शन नहीं कर पाए। पर इसके बावजूद उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ खेलने के लिए उन्हें एकदिवसीय टीम का हिस्सा बनाया गया। यहां धोनी का जलवा दर्शकों को देखने को मिला जिसके चलते 148 रन की पारी खेलकर वह पिछले विकटकीपरों द्वारा बनाए गए रनों से आगे निकल गए।

साल 2007 में क्र्रिकेट विश्व कप की तैयारी में सुधार हुआ क्योंकि भारत ने वेस्ंटइंडीज और श्रीलंका पर 3-2 की समान जीत दर्ज की और इन दोनों श्रृख्ंलाओं में धोनी का औसल 100 से अधिक रहा। सिंतबर 2007 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित वर्ल्ड टी20 में धोनी ने भारतीय टीम की कमान संभालते टी-20 विश्व कप भी हासिल करवाया। साल 2009 में कई महीनों तक धोनी ने आईसीसी ओडीआई बल्लेबाज रैकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया। साल 2011 में विश्व कप फाइनल में अपने आखिरी शार्ट से छक्का जड़ धोनी ने अपनी बेहतरीन कप्तानी के माध्यम से भारत को दूसरा विश्वकप दिलवाने में सफलता प्राप्त की।वही 2013 में आईसीसी चैपिंयस ट्रॉफी जीतकर धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहले और एकमात्र ऐसे कप्तान बन गए जिन्होंने आईसीसी की सभी ट्रॉफी पर जीत हासिल की। नवंबर 2013 में, धोनी सचिन तेन्दुलकर के बाद, एकदिवसीय मैचों में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 1000  या उससे अधिक रन बनाने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज बने।

भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए इंडिया प्रीमियर लीग की शुरूआत ने खेलो में दिलचस्पी को और अधिक बढ़ाया। धोनी को चेन्नई सुपर किंग्स ने 1.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर में अनुबंधित किया।आईपीएल के पहले सीजन की नीलामी में वह सबसे मंहगे खिलाड़ी बने। इसके बाद  पहले साल आईपीएल की ट्रॉफी हासिल कर साल 2011 और 2018 के इंडियन प्रीमियर लीग खिताब के साथ 2010 और 2014 चैपिंयस लीग टी20 खिताब भी अपने नाम किया।चेन्नई सुपर किग्ंस के दो साल निलबंन के चलते धोनी 1.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ राइजिंग पुणे सुपरजायंट टीम का हिस्सा बन गए। हालांकि चेन्नई आईपीएल में सबसे मजबूत और प्रबल टीम बनकर हर साल सामने आती रही।

प्रारंभ में, धोनी एक निचले क्रम के आक्र्रमणकारी बल्लेबाज के रूप में दिखाई दिए, लेकिन उन्होंने उच्च दवाब वाले परिदृश्यों और एक कप्तान के रूप में अपनी बढ़ती जिम्मेदारी से निपटने के लिए धीरे-धीरे अपनी खेल शैली को बदल दिया। एक बेहतरीन हिटर होने के साथ ही चीते से भी तेज गति से विकेटकीपरिंग करने वाली धोनी का विकल्प शायद ही भारतीय टीम को कभी मिल पाएगा।

न केवल अपने किक्र्रेट करियर बल्कि अपनी निजी जीवन में भी धोनी एक बेटे, पति और पिता की जिम्मेदारियो को बखूबी निभाते नजर आए। साल 2010 में धोनी ने अपनी बचपन की दोस्त व स्कूली सहपाठी साक्षी रावत के साथ शादी कर ली और साल 2015 में एक बेटी के पिता बने। अपने राष्ट्रीय कर्तव्य का निर्वाहन करते हुए धोनी ने अपनी बेटी के जन्म से ज्यादा देश के लिए खेलने को ज्यादा महत्ता दी। धोनी का सरल और शांत व्यक्तित्व क्रिकेट की पीच से लेकर निजी जिंदगी तक हमेशा कायम रहा है उनका शरारती अंदाज खिलाडियों को प्रोत्साहित करने मे कोई कमी नही आने देता। अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से अलविदा कह चुके धोनी का विकल्प ढूंढ पाना और उनकी जगह किसी और की कल्पना करना क्रिकेट प्रेमियों के लिए अकल्पनीय रहेगा।

Follow Us : Facebook Instagram Twitter

लेटेस्ट न्यूज़ और जानकारी के लिए हमे Facebook, Google News, YouTube, Twitter,Instagram और Telegram पर फॉलो करे

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top