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Makar Sankranti के है कुछ खास महत्व

Makar Sankranti 1

Makar Sankranti : भारत त्यौहारों का देश रहा है, त्यौहार हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा रहे हैं। साल के बारह महीने हम कोई न केई त्यौहार मनाते नजर आ ही जाते हैं। चाहें दीवाली हो या ईद, रक्षाबंधन हो या भाईदूज, ऐसे ना जाने कितने ही त्यौहार एक के बाद एक लगे रहते है। भारतीय संस्कृति की विविधता को देखा जाए इसके कई रंग हमारे सामने आने लगते है।हर रंग अपने आप में एक अलग तस्वीर उकेरता हुआ मालूम होता है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विभिन्न संस्कृतियां ,धर्म, भाषांए हमारी विविधता में एकता को परिभाषित करती है। जहां कश्मीर के रंग कन्याकुमारी तक नजर आते हैं। भारत की विविधता को अगर छांटा जाए तो इसके इतने स्वरूप हमारे सामने आएंगे जिसको समझते समझते ही हम सम्पूर्ण भारत के दर्शन कर सकते हैं। त्यौहार ऐसे ही तो है। जिनको मनाते हुए हम अपनी हर विविधता को महसूस कर एक हो जाते हैं चाहे वो दीवाली का त्यौहार हो या होली का। हालांकि, त्यौहारो की शुरूआत नए साल के आगाज के साथ ही हो जाती है। मकरसक्रांति (Makar Sankranti) के त्यौहार के साथ ही हमारे देश में त्यौहारो का आरम्भ होता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। हर साल यह त्यौहार जनवरी माह के चौदहवे या पन्द्रहवे दिन ही मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि मे प्रवेश करता है। मकरसक्रांति का यह त्यौहार भारत के हर राज्य में अपनी विविधता के साथ मनाया जाता है। यहां तक की यह नेपाल के सभी प्रान्तों में भी अलग-अलग नाम व भांति -भांति के रीति रिवाजों द्वारा भक्ति एंव उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।

Makar Sankranti

भारत में ऐसे मनाया जाता है Makar Sankranti

दक्षिण भारत से शुरूआत की जाए तो तमिलनाड्ड में यह त्यौहार पांगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। प्रथम दिन भोगी पोंगल, द्वितीय सूर्य पोंगल, तृतीय दिन मटटू पांगल,और चौथा दिन कन्या पोंगल के रूप में मनाया जाता है।  वहीं कर्नाटक, केरल , और आंध्रप्रदेश में इसे केवल सक्रांति (Makar Sankranti) के नाम से जाना जाता है।  हरियाणा और पंजाब में यह त्यौहार लोहड़ी के रूप में 13 जनवरी को ही मना दिया जाता है तथा 14 जनवरी को मकरसक्रान्ति मनाई जाती है। लोहड़ी के दिन आग जलाकर उसकी लपटों में गुड,तिल, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति देते है। साथ ही गज्जक, मूंगफली, आदि कई चीजों को आपस में बांटकर खुशिंया मनाते है।

 उत्तरप्रदेश में यह त्यौहार दानपर्व के रूप में मनाया जाता है। इलाहाबाद में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष माघ मेले का आयोजन किया जाता है। माघ मेले का आरम्भ मकर सक्रान्ति (Makar Sankranti) से  होता है और इसका समापन महाशिवरात्रि के आखिरी स्नान से होता है। सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में इस दिन खिचड़ी दान की जाती है इसलिए इस दिन लोग व्रत रखकर इसे खिचड़ी व्रत का नाम देते है इस दिन खिचड़ी दान करने के साथ खाई भी जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वंय उसके घर जाते है चूंकि वह मकर राशि के स्वामी है। महाभारत के सबसे विख्यात योद्धा भीष्म पितामाह ने भी इसी दिन अपनी देह का त्याग किया था।

बिहार में भी मकरसक्रान्ति (Makar Sankranti) खिचड़ी के नाम से ही जानी जाती है। महाराष्ट्र में इस दिन विवाहित महिलाओं के द्वारा पहली सक्रान्ति पर कपास, तेल व नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान में दी जाती है। तिल गुड़ एक दूसरे को देते हुए यहां ‘‘तिल गुड घ्या आणि गोड़ गोड़ बोला’’ वाक्य कहा जाता है। वहीं बंगाल में इस दिन स्नान पश्चात तिल दान करने की प्रथा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछं चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। और इसी दिन यशोदा ने श्रीकृष्णा को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए व्रत रखा था। बंगाल में प्रतिवर्ष गंगासागर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जहां लोग स्नान करने आते है। ऐसा माना जाता है कि ‘‘सारे तीरथ बार बार, गंगा सागर एक बार’’।

असम में इसे माघ-बिहू अथवा भोगाली-बिहू के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक महीना काला गुजरने जिसमें हिन्दु धर्म में कोई भी शुभकार्य नहीं किया जाता है के बाद इस दिन देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक यह दिन शुरू हो जाता है इसलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। इस दिन दिया गया दान दोगुना या सौ गुना होकर वापस आप के पास पहुचं जाता है। मकरसक्रान्ति के दिन गंगास्नान करना बड़ा ही शुभ माना जाता है। मकरसक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है

ऐसे ही अलग अलग स्वरूपों में सम्पूर्ण भारत में मकरसक्रान्ति (Makar Sankranti) का यह त्यौहार मनाया जाता है।  उत्तर से दक्षिण तक इसकी अलग अलग मान्यताएं सामने आती है लेकिन भाव सबमें समान ही नजर आता है।

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